रविवार, 27 जुलाई 2014

उड़ने को अभी सारा आसमान बाकी है...

उड़ने को अभी सारा आसमान बाकी है,
साँस फूली है मगर अभी जान बाकी है,
थक कर बैठ गए वो सारे पंछी राहों में मगर,
मुझको तय करना अभी पूरा जहान बाकी है। 

पंखों की ताकत यूहीं आज आजमाते हैं,
चलो उस क्षितिज  को अँगूठा दिखाते हैं,
बादलों में देखो डरकर अकेला वो बैठा है,
एक बार आज फिर उसे मिल आते हैं। 

कोशिशों के मुझमे अभी निशान बाकी हैं,
पूरे करने को कई अरमान बाकी हैं,
हौसलों में अभी भी शान बाकी है,
पाने को अभी कई पहचान बाकी है। 

थक गए से पाँव हैं पर जान बाकी है,
उड़ने को अभी सारा आसमान बाकी है। 

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