माँ तुम कहाँ हो?
मेरा मन कहता है तुम यहीं कहीं हो,
पर नज़रें तुम्हे तलाश नहीं पातीं।
तुम हमेशा तो मेरे पास थी,
मेरी आवाज़ सुनकर दौड़ती चली आती थी,
अब तुम क्यूँ नहीं आती माँ?
तुम नहीं तो यहाँ सब बेमाने है,
मतलबी इस दुनिया में बस तू सच्ची,
बाकी सब झूठे हैं, बेगाने हैं।
थककर आती हूँ जब शाम को रोज़,
खाने की थाल पर भी व्यापार मिलता है,
कहाँ ढूँढू उस खाने को माँ,
जिसमे तुम्हारा प्यार मिलता है।
अब कोई एक रोटी ज्यादा खाने को नहीं कहता,
कोई प्यार का हाथ सर पर नहीं रखता,
बीमार कभी जो पड़ जाऊँ,
या थक कर भूखी सो जाऊँ ,
कोई नहीं उठाता मुझे ,
कोई नहीं खिलाता मुझे।
आखें खुलती हैं और आँसू छलक जाते हैं,
कमरे में बस मै और मेरी वीरानी होती है।
माँ तुम कहाँ हो,
माँ तुम क्यूँ नही हो?
Good one Pooja :)
जवाब देंहटाएंOsm se super iske liye koi shabd hi nhi h😍😘👌
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