हम पहुँच गए लेने उन नेता जी का इंटरव्यू,
पूछा, "सर जी, कैन आई आस्क यू कुएसचनस् वेरी फ्यू,"
"व्हाई नॉट ", कहा नेता जी ने बड़े शान से,
पर जरा प्रचार करियेगा हमारी ईमानदारी का ध्यान से।
कहा हमने भी नेता जी को, सर जी, जैसी आपकी मर्ज़ी,
पर ज़रा बताइये, आपकी इमानदारी असली है या फ़र्ज़ी,
"अरे कैसी बातें करते हैं" कहकर नेता जी उछल पड़े,
दिल से गालियां, मुंह से मीठे मीठे बोल निकल पड़े।
हमने भी कहा "नेताजी, घोटालों में आपका बड़ा नाम है"
अरे "खाख" बोले वो, "हम तो यूहीं बदनाम हैं"
अख़बारों में कितने भी नाम हों, हम तो सच्चे भक्त हैं गांधी के,
बुरा नहीं सुनते, डरते नहीं, इल्ज़ामों की आंधी से।
हमने भी नेताजी के केबिन में अपनी आखें घुमाई,
हर जगह गांधी जी की तस्वीरें टंगी नज़र आई,
कच्चा चिठ्ठा जब खोला किसी औने पौने कर्मचारी ने,
तब जाकर दिखी नेताजी की पूरी सच्चाई।
तब जाकर श्रीमान बात समझ में आयी,
क्यूँ हर जगह हमे दे रहे थे गांधी ही गांधी दिखायी,
हमने भी जाने किन लुटेरों को देश कि बागडोर है थमाई,
कहतें हैं इस देश की दशा दिखाएंगे बदल के,
ये देश है हमारा, नेता हमीं हैं कल के।
ईमानदारी तो इन नेताओं ने खूंटी पर टांग दिया है,
और कहते हैं, महात्मा गांधी के बगल का स्थान दिया है,
क्या हुआ अगर टांगकर बापू की तस्वीर,
घूसखोरी, घोटाले, लूट में लगें हैं ये राजनीति के वीर,
ईमानदारी इनकी अब बस किताबों में बसती है,
और नाम लेते हैं बापू का, कहते हैं ये तो बापू की भक्ति है,
क्यूंकि गाँधी की तस्वीर तो घूसखोरी के नोटों पर भी छपती है।
पूछा, "सर जी, कैन आई आस्क यू कुएसचनस् वेरी फ्यू,"
"व्हाई नॉट ", कहा नेता जी ने बड़े शान से,
पर जरा प्रचार करियेगा हमारी ईमानदारी का ध्यान से।
कहा हमने भी नेता जी को, सर जी, जैसी आपकी मर्ज़ी,
पर ज़रा बताइये, आपकी इमानदारी असली है या फ़र्ज़ी,
"अरे कैसी बातें करते हैं" कहकर नेता जी उछल पड़े,
दिल से गालियां, मुंह से मीठे मीठे बोल निकल पड़े।
हमने भी कहा "नेताजी, घोटालों में आपका बड़ा नाम है"
अरे "खाख" बोले वो, "हम तो यूहीं बदनाम हैं"
अख़बारों में कितने भी नाम हों, हम तो सच्चे भक्त हैं गांधी के,
बुरा नहीं सुनते, डरते नहीं, इल्ज़ामों की आंधी से।
हमने भी नेताजी के केबिन में अपनी आखें घुमाई,
हर जगह गांधी जी की तस्वीरें टंगी नज़र आई,
कच्चा चिठ्ठा जब खोला किसी औने पौने कर्मचारी ने,
तब जाकर दिखी नेताजी की पूरी सच्चाई।
तब जाकर श्रीमान बात समझ में आयी,
क्यूँ हर जगह हमे दे रहे थे गांधी ही गांधी दिखायी,
हमने भी जाने किन लुटेरों को देश कि बागडोर है थमाई,
कहतें हैं इस देश की दशा दिखाएंगे बदल के,
ये देश है हमारा, नेता हमीं हैं कल के।
ईमानदारी तो इन नेताओं ने खूंटी पर टांग दिया है,
और कहते हैं, महात्मा गांधी के बगल का स्थान दिया है,
क्या हुआ अगर टांगकर बापू की तस्वीर,
घूसखोरी, घोटाले, लूट में लगें हैं ये राजनीति के वीर,
ईमानदारी इनकी अब बस किताबों में बसती है,
और नाम लेते हैं बापू का, कहते हैं ये तो बापू की भक्ति है,
क्यूंकि गाँधी की तस्वीर तो घूसखोरी के नोटों पर भी छपती है।
Bahut achcha likha hai.. keep it up the humour.. let the poetry flow.. :)
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